उत्तराखंड का पौरव राजवंश,Paurava dynasty of Uttarakhand, Priksha Vani

प्रिय छात्र-छात्राओं इस अंक के माध्यम से आप उत्तराखंड में राजकीय पौरव राज वंश के इतिहास के विषय में पूर्ण अध्ययन करेंगे| यह आपकी आगामी परीक्षाओं के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है| हमें आशा है कि शत-प्रतिशत अंक प्राप्त करोगे|

पौरव राजवंश का इतिहास जानने के स्रोत

अभिलेख

पौरव राजवंश के इतिहास पर प्रकाश डालने के लिए तत्कालीन ताम्रः तथा अष्टधातु के अभिलेखों का महत्वपूर्ण स्थान है| यह अभिलेख अल्मोड़ा जिले के तालेस्वर नामक स्थान से प्राप्त हुए हैं| इन अभिलेखों में पौरव वंश के 5 राजा के नामो का उल्लेख हुआ हैं| तालेश्वर से प्राप्त अभिलेखों द्वारा पूर्व राजवंश की प्रशासनिक व्यवस्था पर संपूर्ण प्रकाश डाला गया है| पौरव राजवंश के संबंध में इन अभिलेखों के अतिरिक्त अन्य साधनों का अभाव है| इससे इन अभिलेखों के ऐतिहासिक महत्व और अधिक बढ़ जाती है|

पौरव राजवंश की राज्य अवधि पूर्व राजवंश ने किस समय से कब तक शासन किया यह अत्यंत विवादास्पद प्रश्न है| गुप्त काल जिन्होंने तालेश्वर अभिलेखों का संपादन किया वे तालेस्वर अभिलेख को छठी शताब्दी से आठवीं शताब्दी के मध्य मानते हैं| अनेक इतिहासकारों का मत है कि पूर्व राजवंश ने हर्ष के पश्चात तथा कत्यूरी वंश कन्नौज के यशो वर्मा पूर्व उत्तराखंड में शासन किया था| हर्ष जिन्होंने 600 से 647 ईसवी तक शासन किया कन्नौज के शासन यशो वर्मा का शासनकाल डॉ आर एस त्रिपाठी के अनुसार 725 से 792 ईसवी था | इस प्रकार 4 वर्ष की अवधि है 725 के मध्य में आती है|शिव प्रसाद डबराल के अनुसार इस प्रशासन की प्रारंभिक पंक्तियों में बाण की शैली का अनुकरण मिलता है| खेड़ा तथा मधुबन शासकों की छाया विधि के शासन काल का स्पष्ट रूप से वर्णन हुआ है|

पौरव वर्मन वंश के शासक

तालेश्वर अभिलेखों में निम्नलिखित राजाओं के नामों का उल्लेख हुआ है| जिनमें विष्णु वर्मन प्रथम, वृष वर्णन,श्री अग्नि वर्मन , ज्योति वर्मन आते है| प्रारंभिक पूर्व राजा विष्णु वर्मन प्रथम तथा विश्व वर्मन के नामों का उल्लेख हुआ हैं|

राज्य विस्तार

तालेश्वर अभिलेखों के अनुसार पूर्व राज्य वंश का राज्य ब्रह्म पूर्व जनपद में था| प्रमुख पूर्व जनपद में कुमाऊ गढ़वाल के साथ पावर का मैदान भी सम्मिलित है इस राज्य की राजधानी प्रमुख हर्ष काल में प्रमुख और राज्य अस्तित्व में था | ह्वांग सांग ने यहां यात्रा की थी | स्कंन्द पुराण मे भी राज्य का वर्णन किया था| इस समय ब्रह्म पुराण हर्ष के अधीन रहा होगा|

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