Important sources to know the history of Uttarakhand
प्रिय छात्र छात्राओं आपको यह जानकर हर्ष होगा कि हम आपके सम्मुख वह बिंदु रख रहे हैं| जो आपके परीक्षाओं में महत्वपूर्ण स्थान निभाते हैं| इस लेख में आप देखेंगे कि किस प्रकार उत्तराखंड की खोज और उनके जो महत्वपूर्ण साक्ष्य को खोजा गया हैं | आशा है आपको अंक पढ़कर अच्छा लगेगा| उत्तराखंड के इतिहास को जानने के महत्वपूर्ण निम्न प्रकार हैं।
उत्तराखंड के इतिहास को जानने के महत्वपूर्ण स्रोत
उत्तराखंड के इतिहास को जानने के स्रोत
उत्तराखंड भारत के ऐसे भूखंडों में हैं जिनका अपना एक समृद्ध इतिहास रहा है| क्रमबद्ध और स्पष्ट इतिहास जानने के साधनों का अभाव होते हुए भी विद्वानों ने बड़ी लगन एवं परिश्रम के साथ अन्वेषण कर उत्तराखंड का इतिहास खोज निकालने का पूर्ण प्रयास किया है| जिन साधनों द्वारा उत्तराखंड का इतिहास को खोजा गया है| वह मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित कर सकते हैं|
क ) साहित्यिक साधन–
साहित्यिक साधनों में विद्वानों ने धार्मिक ग्रंथ को आधार माना है जिसके आधार पर हम निम्न विवेचना कर रहे हैं|
1.धार्मिक ग्रंथ
विद्वानों ने धार्मिक ग्रंथ में हिंदू जैन बौद्ध आधी धर्म से संबंधित विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में उत्तराखंड से संबंधित सूचनाएं एकत्रित की है| यद्यपि इन ग्रंथों से प्राप्त सूचना है बहुत कम है, इस पर भी यह महत्वपूर्ण साक्ष्य इनसे उत्तराखंड के प्राचीन अस्तित्व का पूर्ण और समग्र ज्ञान मिल जाता है|
2.हिंदू धर्म ग्रंथ
उत्तराखंड के इतिहास को जानने के साहित्यिक साधनों में हिंदू धर्म ग्रंथों का महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है| महाभारत कथा स्कंद पुराण में उत्तराखंड से संबंधित बहुत जानकारी प्राप्त हो जाती है | ऋग्वेद , अथर्ववेद, शतपथ ब्राह्मण,ऐतरेय ब्राह्मण,शिव ,पदम ,विष्णु पुराण से भी उत्तराखंड से संबंधित अनेकों महत्वपूर्ण सूचनाएं मिल जाती है|
उत्तराखंड के इतिहास को जानने के महत्वपूर्ण स्रोत,
3.बौद्ध धर्म ग्रंथ
उत्तराखंड के इतिहास में बौद्ध धर्म ग्रंथों का महत्वपूर्ण स्थान है| दिव्यावदान ,जातक, महावंश आदि बौद्ध धर्म ग्रंथों में उत्तराखंड से संबंधित अनेकों सूचनाएं प्रदान करता है| इस ग्रंथ में उत्तराखंड की विशालता का पूर्ण किया गया है|
4.जैन धर्म ग्रंथ
उत्तराखंड के इतिहास को जैन धर्म में भी महत्वपूर्ण साक्ष्य के रूप में देखा गया है| उत्तराखंड के संबंध में जानकारी देने वाले प्रमुख जैन ग्रंथों में महापुराण प्रमुख माने जाते हैं|
5.अधार्मिक ग्रंथ
अधार्मिक ग्रंथों के आधार पर ऐसे अनेक ग्रंथ उपलब्ध हैं| जो किसी धर्म से ताल्लुक नहीं रखते अर्थात किसी धर्म विशेष से यह प्रभावित नहीं होते हैं| इसके अंतर्गत कल्पना प्रधान लोक साहित्य जीवन चरित्र, विदेशी विद्वानों के आगमन के बाद लिखे गए लेख, कालिदास कृत रघुवंश ,मेघदूत कुमारसंभव, बाण का हर्ष चरित्र तथा राजशेखर का काव्यमीमांसा आदि ग्रंथ उत्तराखंड से संबंधित सूचनाएं देते हैं| उत्तराखंड में प्रचलित लोक गाथाएं जैसे जागर, घटेली इत्यादि से ही उत्तराखंड के इतिहास पर प्रकाश डाला गया है| इसके अतिरिक्त विदेशी विद्वानों तथा अनेकों यात्रियों ने उत्तराखंड के विषय में अनेकों लेख लिखे हैं| जिनमें हैंग सॉन्ग, अलबरूनी प्रमुख हैं| उत्तराखंड के इतिहास को जानने के महत्वपूर्ण स्रोत,
(ख ) पुरातात्विक साधन
विभिन्न स्थानों पर हुए उत्खनन के परिणाम स्वरूप बड़ी संख्या में मानव कंकाल समाधि ,अभिलेख एवं मुद्राएं प्राप्त हुई है| जिनसे उत्तराखंड के इतिहास एवं संस्कृति पर प्रकाश डाला गया है| इसके अतिरिक्त उत्तराखंड में उपलब्ध स्थापत्य कला भी यहां का इतिहास जानने का महत्वपूर्ण साधन बन गया है| उत्तराखंड के इतिहास के विषय में जानकारी देने वाले प्रमुख पुरातात्विक साधन अधोलिखित है
1.प्रागैतिहासिक काल
यह वह काल है जिसमें उत्तराखंड के साक्ष्य गुफाओं शिलाखंड चित्र और समाधान से प्राप्त हुए हैं| प्रागैतिहासिक काल का तात्पर्य उस काल से है जिसमें मनुष्य को विद्वानों को लिखित साक्ष्य के रूप में प्राप्त नहीं हुआ है|
इसके अतिरिक्त उत्तराखंड में उपलब्ध स्थापत्य कला भी यहां का इतिहास जाने का एक प्रमुख साधन बन गया है| यह अल्मोड़ा, चमोली, उत्तरकाशी जिलों में विशेष रूप से प्राप्त हुए हैं|
2.अभिलेख
1.उत्तराखंड की संस्कृति प्राचीन काल से ही महत्वपूर्ण स्थान रखती है | प्रागैतिहासिक काल के साक्ष्यों को अभिलेखों के द्वारा भी बताया जा सकता है उत्तराखंड में अभिलेख सिलाओ अर्थात पत्थर पर लिखी गई भाषाएं या चित्र ताम्रः पत्रों एवं प्राचीन मंदिरों की दीवारों पर उकेरी गए हैं|
2.उत्तराखंड के इतिहास को जानने के महत्वपूर्ण स्रोत उत्तराखंड के इतिहास पर प्रकाश डालने वाले स्रोतों में सर्वाधिक महत्व के एवं प्रमाणिक स्रोत भी अकेले ही माने जाते हैं|
क्योंकि अभिलेख समकालीन होते हैं जिस राजा या राजवंश के विषय में अभिलेख पर लिखा मिलता है अभिलेख की रचना भी उसी राजा या राजवंश के समय में की गई होती है|
3. इस प्रकार इस तथ्य से सही प्रमाणित होने की संभावना अधिक हो जाती है| उत्तराखंड में प्राप्त अभिलेख,ताम्रः पत्रों तथा मंदिरों की दीवारों पर उत्कीर्ण है| यह अभिलेख द्वितीय ,तृतीय शताब्दी से बारहवीं शताब्दी के मध्य पाए गए हैं| प्राप्त अभिलेख मुख्यता पाली व संस्कृत भाषा में मिले हैं|
4. अधिकांश अभिलेखों की जो लिपि है वह ब्राह्मी लिपी है| कत्यूरी नरेश ने अनेक शिलालेख बनवाए हैं | जिनमें बागेश्वर के शिलालेख का स्थान महत्वपूर्ण है इसमें कत्यूरी वंश की वंशावली प्राप्त होती है| सिलाओ के अतिरिक्त कत्यूरी राजाओं ने पूर्ण करवाया था|
5.जिसमें पांडुकेश्वर के ताम्रपत्र उल्लेखनीय है पूर्व वंश के तालेश्वर से प्राप्त पत्रों का भी उत्तराखंड के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं| उत्तराखंड के इतिहास को जानने के महत्वपूर्ण स्रोत,
3.मुद्राएं
उत्तराखंड पर प्रकाश डालने वाले पुरातात्विक साधनों में मुद्राओं का विशिष्ट स्थान है| मुद्राएं यहां के राजनीतिक धार्मिक आर्थिक स्थिति एवं कला पर विशेष रूप से प्रकाश डालती है|यह मुद्राएं रजत ताम्र एवं मिश्र धातु की बनी होती थी|
4.प्राचीन मंदिर वह मूर्तियां उत्तराखंड
प्राचीन मंदिर वह मूर्तियां उत्तराखंड में दुर्ग राजप्रसाद जैसे स्थापत्य का अभाव सा है| शायद प्राकृतिक प्रकोप के कारण इनका अस्तित्व मात्र अवशेषों के रूप में दृष्टिगोचर होता है| परंतु मंदिर स्थापत्य का यहां पर सुरक्षित विद्यमान है| प्रमुख प्राचीन मंदिर गुप्तोत्तर युग के हैं| जिनमें लाखामंडल का शिव मंदिर, मोरध्वज तपोवन, सोमेश्वर ,द्वाराहाट , बागेश्वर, बैजनाथ, केदारनाथ, बद्रीनाथ प्रमुख मंदिरों के साथ-साथ उत्तराखंड में प्राप्त देव मूर्ति अभी हैं जो अपना महत्वपूर्ण स्थान निभा रही हैं| यही महत्वपूर्ण स्थान पुरातात्विक साधनों का प्रमुख कारक बन जाता है|
निष्कर्ष
उपरोक्त लेख से यह स्पष्ट हो जाता है कि उत्तराखंड का इतिहास जानने के लिए साधनों का अभाव नहीं है| विभिन्न साहित्य एवं पुरातात्विक साधन से उत्तराखंड के इतिहास पर व्यापक प्रकाश पड़ता है|उत्तराखंड के इतिहास को जानने के महत्वपूर्ण स्रोत,
इतिहासकारों ने इन्हीं के आधार पर महत्वपूर्ण बातों को बताया है|इतिहास से संबंधित चीजों का अभाव आवश्यकता है| परंतु इतिहासकारों ने तिथि एवं तिथि क्रम निश्चित करने का पूर्ण प्रयास किया है|
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