प्रागैतिहासिक काल में मनुष्य अनपढ़ था| उसे लिखने का कोई ज्ञान नहीं था जो भी साक्ष्य आज हम प्राप्त होते हैं| वह केवल पाषाण रूप में ही प्राप्त होते हैं| अर्थात जो साक्ष्य मिलते हैं वह पत्थर, गुफाएं, आदि के रूप मे हमें प्राप्त होते हैं|

प्रागैतिहासिक काल का इतिहास
पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर ऐसा काल जिसमें कोई भी लिखित साक्ष्य ना मिला हो उस काल को प्रागैतिहासिक काल कहते हैं| विद्वानों ने प्राचीन भारत के इतिहास के स्वरूप को जानने के लिए इसको तीन भागों में विभाजित कर दिया है|
- प्राक इतिहास
- आद्य इतिहास
- ऐतिहासिक काल
1.प्राक इतिहास(Pre History)
ऐसा कालखंड जिसमें पुरातात्विक विद्वानों को कोई लिखित साक्ष्यों की प्राप्ति नहीं हुई|
- विद्वानों के अनुसार उनको केवल मात्र बस्ती, हड्डिया आदि साक्ष्य प्राप्त हुए हैं|
- इस कालखंड में मनुष्य अनपढ़ था |
- वह केवल पशु-पक्षियों को मार कर खाता था|
- आग का ज्ञान भी उसको नहीं था|
- परंतु वह आग का प्रयोग करना जानता था|
- वह आग में भुनी हुई मांस खाकर अपना जीवन यापन करता था|
- कंदमूल खाना भोजन को इकट्ठा करना वह सब वह आसानी पूर्वक कर लेता था
2.आद्य इतिहास(Proto History)
- यह वह कालखंड था जिसमें मनुष्य को लिखने का ज्ञान आ गया था|
- परंतु उसको हम पढ़ नहीं पा सके हैं|
- इस कालखंड में मनुष्य सभ्य जीवन जीता था|
- उनकी सभ्यता हमारी सभ्यता के बराबर थी |
- इसका सीधा उदाहरण हड़प्पा सभ्यता से लिया जा सकता है|
3.ऐतिहासिक काल(Historical Period)
- पुरातात्विक काल में पुरातात्विक साक्ष्यों को पढ़ लिया गया है|
- इस काल में जितने भी साक्ष्य प्राप्त हुए हैं उनकी लिपि को पढ़ा गया है |
- जेम्स प्रिंसेप वह प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने अशोक के शिलालेखों को पड़ा था