उत्तराखंड का इतिहास
हिस्ट्री आफ उत्तराखंड
उत्तराखंड के इतिहास को मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं|
1.प्रागैतिहासिक काल
2.आघऐतिहासिक काल
3.ऐतिहासिक काल
1.प्रागैतिहासिक काल-
यह वह कल था, जिसमें मनुष्य को लिखने का ज्ञान नहीं था वह आखेंटक तक का जीवन व्यतीत करता था | प्रागैतिहासिक काल में मनुष्य कंद मूल से अपना पेट भरता था | वह शिकार का पीछा करता और कहीं पर आग में भुना हुआ मांस मिल जाए तो उसको खाता था उसको आग का ज्ञान नहीं था | परंतु वह जानता था कि आज से पका हुआ मांस बड़ा स्वादिष्ट होता है | उसके पास कोई लेखन प्रणाली नहीं थी | ना ही किसी रंग का ज्ञान था उसके जो औजार थे वह मात्र पत्थर के बने होते थे वह किसी भी पत्थर को उठाकर शिकार कर लिया करता था | धीरे-धीरे उसको नुकीले पत्थर मिलने लगे जिससे उसका शिकार आसानी पूर्वक वह शिकार करने लगा |
उत्तराखंड में भी प्रागैतिहासिक काल के अवशेष प्राप्त हुए हैं जिनमें गुफा शैल चित्र कंकाल मृतभांड धातु उपकरण आदि प्रमुख है
उत्तराखंड के पुरातात्विक स्रोत की खोज का श्री हैंडवुड को जाता है | इन्होंने सन 1856 में पुरातात्विक साक्ष प्राप्त किया था |
उत्तराखंड के प्रमुख पुरातात्विक स्थल –
उत्तराखंड के प्रमुख पुरातात्विक साक्ष स्थल में अल्मोड़ा, चमोली, उत्तरकाशी आदि स्थलों से पुरातात्विक साक्ष की प्राप्ति हुई है|
1.अल्मोड़ा( Almora)-
अल्मोड़ा जिले का मुख्यालय है और राज्य के कुमाऊं क्षेत्र की सांस्कृतिक राजधानी का दर्जा किसको प्राप्त है | अल्मोड़ा भारत के उत्तराखंड राज्य में एक नगर पालिका और छावनी नगर के रूप में विख्यात है | नगर के समीप कोशिका और शाल्मली नदियां बहती है यह एक पर्यटक स्थल है | यहां के प्रमुखस्थल
1.लाखू गुफा(Lakhu gufa)
लाखू गुफा भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित है सुयाल नदी के के किनारे पर प्राप्त हुआ हैइसकीदूरी अल्मोड़ा से पहले 13 किलोमीटर है | माना जाता है किइस गुफा का निर्माण प्रज्ञा ऐतिहासिक काल में हुआ था इस गुफा में अनेकों चित्र प्राप्त हुए हैं | जिनमें जानवर शिकार खेलते हुए मनुष्य और इन चित्रों को कल लाल और सफेद रंगों से बनाया गया था |
लाखों गुफा की खोज 1968 ईस्वी में डॉक्टर महेश्वर प्रसाद जी ने की थी|
2.कसार देवी मंदिर-
कसार देवी मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा में स्थित है | कसार देवी माता का मंदिर दूसरी शताब्दी में बनाया गया था 1890 में स्वामी विवेकानंद जी ने यहां पर यात्रा की थी | यह मंदिर अल्मोड़ा से 8 किलोमीटर की दूरी पर कश्यप पहाड़ी की चोटी पर स्थित है | इस मंदिर से 14 नृत्य को का सुंदर चित्रण प्राप्त होता है| यह क्रैंक रिज के लिए भी प्रसिद्ध है | 1960 – 1970 के दशक में हैप्पी आंदोलन यहां पर हुआ था जिस कारण से देसी और विदेशी पर्वतारोही और पर्यटक यहां पर आते रहते हैं | प्रति वर्ष कार्तिक पूर्णिमा जो नवंबर दिसंबर में होती है | उस समय यहां पर कसार देवी का मंदिर प्रांगण में.कसार देवी मेला लगता है |
फल सीमा-
फल सीमा से योग करती हुई मुद्रा में तथा नृत्य करती भी मुद्रा में आकृतियां प्राप्त हुई हैं|
जाखन देवी मंदिर-
जाखन देवी मंदिर उत्तराखंड का प्रसिद्ध मंदिर है यह अल्मोड़ा में स्थित है इस मंदिर से एक्सन के निवास की पुष्टि होती