खटीमा गोली कांड

खटीमा गोली कांड

•खटीमा गोली कांड (Khatima goli kand) 1 सितम्बर, 1994 को उधम सिंह नगर जिले के खटीमा में हुआ था। खटीमा गोलीकांड के अगले ही दिन 2 सितम्बर, 1994 को मसूरी गोलीकांड हुआ था ।

•उत्तराखण्ड में पृथक् राज्य के लिए आवाज सर्वप्रथम5-6 मई 1938 को श्रीनगर में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में उठाई गई थी । लेकिन कई वर्षों के अथक परिश्रम व बलिदानों के बाद 9 नवंबर, 2000 को उत्तराँचल (वर्तमान उत्तराखंड) राज्य की स्थापना हुई, जिस के लिए अनेको आन्दोलन हुए और अनेकों लोगों को अपने प्राणों को न्योछावर करना पड़ा।

•1 सितम्बर, 1994 को उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन का काला दिन माना जाता है, क्योंकि इस दिन खटीमा में पृथक उत्तराखंड राज्य के लिए आंदोलनकारियों द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से खटीमा चौराहे पर जुलूस निकला जा रहा था। लेकिन पुलिसकर्मी के ने निहत्थे आंदोलनकारियों की आवाज जो दबाने के लिए अपनी बर्बरता का परिचय दिया, जो इससे पहले कहीं और देखने को नहीं मिला। इस आन्दोलन में पुलिस द्वारा बिना चेतावनी दिये ही आन्दोलनकारियों के ऊपरअंधाधुंध फायरिंग करदी गई, जिसके परिणामस्वरुप सात आन्दोलनकारियों की मृत्यु हो गई।

खटीमा गोली कांड में शहीद आंदोलनकारी

1. अमर शहीद स्व० भगवान सिंह सिरौला

2. अमर शहीद स्व० प्रताप सिंह

3. अमर शहीद स्व० सलीम अहमद

4. अमर शहीद स्व० गोपीचन्द

5. अमर शहीद स्व० धर्मानन्द भट्ट

6. अमर शहीद स्व० परमजीत सिंह

7. स्व० रामपाल

इस बर्बरता की ख़बर समूचे उत्तरप्रदेश (तत्कालीन) वर्तमान उत्तराखंड में आग की तरह फ़ैल गई, जिसके बहुत ही क्रूर परिणाम सामने आये।

परिणाम

खटीमा गोलीकांड की घटना ने समूचे राज्य को झंझोर कर रख दिया। जिस के परिणामस्वरूप कई जगहों पर लोगो ने अपना भयंकर रूप दिखाते हुए प्रशासन के प्रति अपना विरोध प्रदर्शन किया, लेकिन वहां भी पुलिसकर्मीयों ने उनकी आवाज़ों को दबाने का भरसक प्रयास किया। इसी के परिणामस्वरूप 2 सितम्बर, 1994 को मसूरी गोलीकांड भी सामने आया।

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