उत्तराखंड राज्य में बहने वाली प्रमुख नदियां व उनके उद्गम स्थल

उत्तराखंड राज्य में बहने वाली प्रमुख नदियां व उद्गम स्थल

उत्तराखंड की प्रमुख नदियाँ : उत्तराखंड की प्रमुख नदियों के नाम, उत्तराखंड नदी तंत्र एवं नदियों के उद्गम स्थल-

उत्तराखंड राज्य की प्रमुख नदियां–

उत्तराखंड राज्य में बहने वाली प्रमुख नदियां व उनके उद्गम स्थल तथा बेसिन क्षेत्र –

उत्तराखंड में अधिकांशतः नदियों का प्रवाह दक्षिण या दक्षिण-पूर्व दिशा में है, राज्य में कई छोटे-बड़े नदी-तंत्र हैं, जिसमे काली नदी तंत्र, गंगा नदी तंत्र और यमुना नदी तंत्र मुख्यतः हैं।

काली नदी तंत्र (Kali River System)–

•उद्गम – पिथौरागढ़ के सुदूर उत्तर में तिब्बत बॉर्डर के पास स्थित जैक्सर श्रेणी के पूर्व में स्थित कालापानी में है।

•लम्बाई – 252 किलोमीटर ।

•सहायक नदियां – पूर्वी धौलीगंगा, गौरीगंगा, सरयूनदी है।

•स्थानी भाषा में इसे कालापानी गाड या कालीगंगा कहा जाता है, यह नदी भारत-नेपाल का बॉर्डर बनाते , हुए बहती है। पिथौरागढ़ के बाद यह चंपावत में प्रवेश करती है, और टनकपुर में पूर्णागिरी के पास बरमदेव से शारदा नदी के नाम से नेपाल में प्रवेश करती है। स्कंदपुराण में इसे श्याम नदी कहा गया है और इस के जल को पवित्र नहीं कहा गया है।

गौरीगंगा उपतंत्र (Gauriganga Subsystem)–

उद्गम स्थल- मल्ला जोहर क्षेत्र में स्थित मिलम – हिमनद । पूर्वी कालीगंगा के बाद जौलजीवी नामक स्थान पर काली गंगा की दाई और से गोरीगंगा नदी मिलती है।

सरयू उपतंत्र (Sarayu Subsystem)–

•उद्गम स्थल – बागेश्वर के दक्षिण पूर्व में स्थित सरमूलनामक स्थान।

•लम्बाई 146 किलोमीटर, काली नदी को सबसे – अधिक जलराशि देने वाली कुमाऊ की पवित्र नदी सरयू है, बैजनाथ तीर्थ व बागेश्वर नगर इस नदी के तट पर स्थित है। यह पिथौरागढ़ – अल्मोड़ा व पिथौरागढ़- चंपावत का बॉर्डर बनाते हुए काली नदी में मिल जाती है।

लधिया नदी (Ladhia River)–

•उद्गम स्थल – पिथौरागढ़, अल्मोड़ा व नैनीताल के मिलन बिंदु गजार से।

•उत्तराखंड की यह अंतिम नदी है, जो काली नदी में मिलती है। काली में यह चूका, चंपावत के पास मिलती है। यह पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है।

यमुना नदी तंत्र (Yamuna River System)–

•उद्गम स्थल- उत्तरकाशी के बंदरपूछ पर्वत के दक्षिण- पश्चिमी ढाल पर स्थित यमुनोत्री हिमनद ।

लम्बाई -136 किलोमीटर

•सहायक नदियाँ – ऋषिगंगा, हनुमानगंगा, कृष्णागाड, कमलगाड, भद्रीगाड, टोंस, खुतनुगाड, बरनीगाड आदि हैं। यमुना नदी, उत्तरकाशी व देहरादून से बहते हुए राज्य के बाहर निकल जाती है, यमुना की सबसे प्रमुख सहायक नदी टोन्स नदी है, जो यमुना से ढाई गुना अधिक जल लाती है। यह उत्तरकाशी स्थित बंदरपूंछ पर्वत के उत्तर स्वर्गारोहिणी ग्लेशियर से निकलती है। यह उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश के बॉर्डर पर 148 किलोमीटर बहने के बाद कालसी डाकपत्थर के बीच यमुना में मिल जाती है टोन्स से मिलने के बाद यमुना देहरादून अर्थात् उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश का बॉर्डर बनाते हुए आगे बढ़ती है। यमुनोत्री से इलाहाबाद तक की कुल लंबाई 1384 किलोमीटर है।

टोंस नदी उपतंत्र (Tons River Subsystem)–

•लम्बाई- 148 किलोमीटर

•उद्गम स्थल -उत्तरकाशी स्थित बंदरपूंछ पर्वत के उत्तर स्वर्गारोहिणी ग्लेशियर ।

•टोंस नदी पर इच्छाड़ी बांध है जो, उत्तराखंड और हिमांचल प्रदेश की संयुक्त परियोजना है, टोंस नदी और यमुना का संगम देहरादून के कालसी में होता हैं। यमुना नदी देहरादून के धालीपुर नामक स्थान से राज्य से बाहर निकल जाती हैं।

गंगा नदी तंत्र (Ganga River system)–

लम्बाई – 90 किलोमीटर

•उत्तराखंड में गंगा नदी को ‘गंगा’ के नाम से देवप्रयाग के बाद से जाना जाता है, जबकि गंगोत्री से देवप्रयाग तक इसे ‘भागीरथी’ के नाम से जाना जाता है। देवप्रयाग में भागीरथी और अलकनंदा मिलकर गंगा के नाम से आगे बढ़ती है, और हरिद्वार में गंगा में रतमऊ तथा सोलानी नदियाँ मिलती है। देवप्रयाग से हरिद्वार तक गंगा की लंबाई 90 किलोमीटर है।

अलकनंदा उपतंत्र (Alaknanda Subsystem)–

•उद्गम स्थान अलकनंदा का उद्गम स्थल उत्तरकाशी और चमोली सीमा पर स्थित स्वर्गारोहणी पर स्थित सतोपंथ ग्लेशियर से होता है।

•लम्बाई – 195 किलोमीटर

•सहायक नदियां सरस्वती, पश्चिमी धौलीगंगा, नाबलिका, लक्ष्मणगंगा, नंदाकिनी, पिंडर व मंदाकिनी।

•अलकनंदा का प्राचीन नाम विष्णुगंगा हैं, सतोपंथ ताल से होती हुई 195 किलोमीटर की यात्रा के बाद देवप्रयाग में भागीरथी नदी में मिल जाती है।

•अलकनंदा में सर्वप्रथम लक्ष्मणगंगा नदी मिलती है। आगे बढ़ने पर बद्रीनाथ से उत्तर-पश्चिम में स्थित केशव प्रयाग में सरस्वती नदी से मिलती है। नंदप्रयाग में इससे नंदाकिनी नदी मिलती है, जो कि त्रिशूल पर्वत के पास स्थित नंदा घुंघटी से निकलती है। कर्णप्रयाग में अलकनंदा में पिंडर नदी मिलती है। रुद्रप्रयाग में इसमें मंदाकिनी नदी मिलती है, जो कि केदारनाथ के पास स्थित मंदराचल श्रेणी व हिमनद से निकलती है। देवप्रयाग (टिहरी) में अलकनंदा ‘बहु’ और भागीरथी ‘सास’ का संगम स्थल है।

भागीरथी उपतंत्र (Bhagirathi Subsystem)–

•उद्गम स्थल- उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री से 19 किलोमीटर दूर स्थित शिवलिंग शिखर से सटे गंगोत्री हिमनद के गोमुख नामक स्थान से निकलती है।

•लम्बाई- 205 किलोमीटर

•सहायक नदियाँ – मेदगंगा, दूधगंगा, रामगंगा व बालगंगा नदियां भिलंगना की सहायक नदियां हैं।

•भागीरथी नदी में गौमुख से टिहरी डैम तक छोटी-बड़ी 20 से अधिक नदियां मिलती है। गणेशप्रयाग अर्थात पुराना टिहरी शहर में भागीरथी, भिलंगना नदी से मिलती है । देवप्रयाग में भागीरथी में अलकनंदा नदी मिलती है। गंगोत्री से देवप्रयाग तक भागीरथी की लंबाई 205 किलोमीटर है।

पश्चिमी रामगंगा उपतंत्र (Western Ram Ganga Subsystem)–

•उद्गम स्थल – पौढ़ी, चमोली तथा अल्मोड़ा में फैले दूधातोली श्रेणी के पूर्वी ढाल ।

•लम्बाई – 155 किलोमीटर

•सहायक नदियां – बिरमा, गागस, बिनो आदि ।

•यह नदी पौड़ी के कालागढ़ नामक स्थान से राज्य से बाहर निकल जाती हैं और उत्तर प्रदेश के कन्नोज के पास यह गंगा में मिल जाती हैं।

कोसी नदी (Kosi River)–

•उद्गम स्थल- कौसानी, बागेश्वर की पहाड़ियों पर स्थित , धारपानीधार हैं।

•लम्बाई – 168 किलोमीटर

•सहायक नदियाँ – देवगाड़, मिनोलगाड़, सुमालीगाड आदि।

•उधमसिंह नगर में 168 किलोमीटर बहने के बाद उधमसिंह नगर के सुल्तानपुर स्टेशन पर राज्य से बाहर निकल जाती है।

गौला नदी (Gola River)–

•उद्गम स्थल – नैनीताल के पहाड़पानी नामक स्थान ।

•लम्बाई – 102 किलोमीटर

•नैनीताल, ऊधमसिंह नगर में 102 किलोमीटर बहने के बाद किच्छा के पास राज्य से बाहर हो जाती है।

नंधौर नदी (Nandhaur River)–

•उद्गम स्थल- नैनीताल के चोरगलिया के पास देओह से निकलकर यह नदी नानक सागर में समाहित हो जाती है। नंधौर के पूर्व में दो और छोटी-छोटी नदियां भी नानक सागर में मिलती है।

–उत्तराखंड की प्रमुख नदियों के बेसिन क्षेत्र–

नदी – बेसिन क्षेत्र

कालीनदी. -> 11467

अलकनंदा. -> 10951

भागीरथी -> 7880

कोसी -> 6753

रामगंगा – > 6205

यमुना – 24004

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