उत्तराखंड का इतिहास – आधुनिक काल

उत्तराखंड का इतिहास – आधुनिक काल

Uttrakhand History-(Modern Era)

उत्तराखंड आधुनिक काल (Modern Era)

आधुनिक काल का तात्पर्य उत्तराखंड में गोरखाओं के शासन काल से माना जाता है, वेसे तो इतिहासकारों की मानें तो आधुनिक काल को भारत में 1857 के क्रांति के बाद से माना जाता है। लेकिन उसी के समकालीन गोरखाओं ने भी उत्तराखंड में अपना प्रभुत्व स्थापित किया, जिसके बारे में इस प्रकार है –

गोरखा शासक

•गोरखा नेपाल के थे, कुमाऊँ में चन्द शासकों की कमजोरी का लाभ उठाकर 1790 ई. में उन्होंने एक छोटा-सा युद्ध करके अल्मोड़ा पर अधिकार कर लिया। कुमाऊँ पर अधिकार करने के बाद 1791 में गढ़वाल पर आक्रमण किया लेकिन पराजित हो गये और फरवरी 1803 को संधि के विरुद्ध जाकर गोरखाओं ने पुनः गढ़वाल पर आक्रमण किया और सफल हुए।

•1814 ई. में गढ़वाल में अंग्रेजो के साथ युद्ध में पराजित हो कर गढ़वाल राज मुक्त हो गया, अब केवल कुमाऊँ में गोरखाओं का अधिकार रहा, कर्नल ई. गार्डनर (E. Gardner) ने अप्रैल 1815 में कुमाऊँ के अल्मोड़ा को व जनरल ऑक्टरलोनी ने 15 मई, 1815 को वीर गोरखा सरदार अमर सिंह थापा से मालॉव का किला जीत लिया और 27 अप्रैल, 1815 को कर्नल गार्डनर तथा गोरखा शासक बमशाह के बीच हुई संधि के तहत कुमाऊँ की सत्ता अंग्रेजो को सौपी दी गई। कुमाऊँ व गढ़वाल में गोरखाओं का शासन काल क्रमश: 25 और 10.5 वर्षों तक रहा।

अंग्रेजी शासन

•अप्रैल 1815 तक कुमाऊं पर अधिकार करने के बाद अंग्रेजो ने टिहरी को छोड़ कर अन्य सभी क्षेत्रों को नॉन रेगुलेशन प्रांत बनाकर उत्तर पूर्वी प्रान्त का भाग बना दिया, और इस क्षेत्र का प्रथम कमिश्नर कर्नल गार्डनर को नियुक्त किया। कुछ समय बाद कुमाऊँ जनपद का गठन किया गया और देहरादून को सहारनपुर जनपद में सम्मिलित कर दिया गया।

•1840 में ब्रिटिश गढ़वाल के मुख्यालय को श्रीनगर से हटाकर पौढ़ी लाया गया व पौढ़ी गढ़वाल नामक नये जनपद का गठन किया।

•1854 को कुमाऊँ का मुख्यालय नैनीताल बनाया गया और 1854 से 1891 तक कुमाऊँ कमिश्नरी में कुमाऊँ व पौढ़ी गढ़वाल जिले शामिल थे। 1891 में कुमाऊँ को अल्मोड़ा और नैनीताल नामक दो जिलों में बाँट दिया गया, और स्वतंत्रता तक कुमाऊँ में केवल 3 ही ज़िले थे (अल्मोड़ा, नैनीताल, पीढ़ी गढ़वाल) और टिहरी गढ़वाल एक रियासत के रूप में थी ।

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